तुम्हारे बिन हमें ये जिन्दगी अच्छी नहीं लगती,
सनम तेरी निगाहों की नमी अच्छी नही लगती,
मुझे हासिल हुई दुनियां की दौलत और ये शोहरत,
मिला सब कुछ मगर तेरी कमी अच्छी नहीं लगती..
हर ज़ख्म मुन्तजिर है तेरी एक निगाहै करम का,
आँखो मै नशा है तेरी मोहब्बत के झुटे भरम का,
ज़ख्म भी फूल बन के खिल जाते है मेरी रूह के,
जब बादे सबा पैगाम लाती है तेरी अंजूमन का..