हर ज़ख्म मुन्तजिर है तेरी एक निगाहै करम का,
आँखो मै नशा है तेरी मोहब्बत के झुटे भरम का,
ज़ख्म भी फूल बन के खिल जाते है मेरी रूह के,
जब बादे सबा पैगाम लाती है तेरी अंजूमन का..
Please follow and like us:
हर ज़ख्म मुन्तजिर है तेरी एक निगाहै करम का,
आँखो मै नशा है तेरी मोहब्बत के झुटे भरम का,
ज़ख्म भी फूल बन के खिल जाते है मेरी रूह के,
जब बादे सबा पैगाम लाती है तेरी अंजूमन का..