रिमझिम तो है मगर सावन गायब है,
बच्चे तो हैं मगर बचपन गायब है,
क्या हो गयी है तासीर ज़माने की यारों,
अपने तो हैं मगर अपनापन गायब है..
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रिमझिम तो है मगर सावन गायब है,
बच्चे तो हैं मगर बचपन गायब है,
क्या हो गयी है तासीर ज़माने की यारों,
अपने तो हैं मगर अपनापन गायब है..